
दोस्तो आज हम इस पोस्ट में Swap derivatives in Hindi के बारे में विस्तार से जानेंगे
- स्वैप डेरिवेटिव्स क्या होता है?
- स्वैप डेरिवेटिव्स कितने प्रकार के होते हैं?
- स्वैप डेरिवेटिव्स कैसे काम करते हैं?
तो चलिए जानते है Swap derivatives in Hindi के बारे मे
स्वैप डेरिवेटिव्स क्या होता है? ( What is Swap derivatives in Hindi)
स्वैप डेरिवेटिव्स एक कॉन्ट्रैक्ट होता हैं इसमें दो पार्टी दो अलग-अलग फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट पर बेस्ट Cash Flow को एक्सचेंज करने का कॉन्ट्रैक्ट करती हैं यहां पर कॉन्ट्रैक्ट एक फिक्स टाइम के लिए होता है जैसे 1 साल या 2 साल के लिए और Cash Flow का पेमेंट रेगुलर इंटरवल पर होता हैं जैसे 3 महिने, 6 महिने या 1 साल आमतौर से एक पार्टी एक फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट पर बेस्ट एक फिक्स रेट से पेमेंट करती हैं और दुसरी पार्टी एक दुसरे फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट पर बेस्ट वेरिएबल रेट से पेमेंट करती हैं।
स्वैप एक कॉम्प्लेक्स कस्टमाइजेबल डेरिवेटिव्स होता हैं और इसका इस्तेमाल आमतौर से बड़े बैंक और कंपनी अपने रिस्क मैनेजमेंट में करती हैं।
यह एक अनरेगुलेट डेरिवेटिव्स हैं और इस की ट्रेडिंग OTC यानी Over the Counter होती हैं यानी स्वैप को ट्रेडिंग के लिए कोई स्टैंडर्ड एक्सचेंज नहीं होता जैसे की फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग केलिए होता हैं कोई भी दो पार्टी आपस में एक स्वैप कॉन्ट्रैक्ट कर सकती हैं।
हर स्वैप कॉन्ट्रैक्ट कॉमन होता हैं की दो पार्टीज दो अलग-अलग फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट पर बेस्ट Cash Flow को एक्सचेंज करते हैं स्वैप एक कस्टमाइजेबल प्रोडक्ट है जिस में दो पार्टीज आपस में किसी भी टर्म्स पर स्वैप कॉन्ट्रैक्ट कर सकती हैं।
स्वैप डेरिवेटिव्स प्रकार (Swap Derivatives Types)
यह 5 सबसे ज्यादा यूज होने वाले स्वैप है
Interest Rate Swaps
Interest Rate Swaps – इंटरेस्ट रेट स्वैप सबसे ज्यादा यूज होने वाला स्वैप कॉन्ट्रैक्ट हैं इस में एक पार्टी दूसरे पार्टी को एक फिक्स अमाउंट पर एक फिक्स रेट से पेमेंट करती हैं और दूसरी पार्टी पहले पार्टी को उसी फिक्स अमाउंट पर एक वेरिएबल रेट से पेमेंट करती हैं और जिस सेक्स कॉन्ट्रैक्ट पर होता हैं उसे हम नोशनल अमाउंट कहते हैं और Interest Rate Swaps में नोशनल अमाउंट का लेनदेन नहीं होता है बल की उस का यूज पेमेंट के कैलकुलेशन में होता है
Exempla : मान लेते हैं की Bank A और Bank B आपस में एक स्वैप कॉन्ट्रैक्ट करते हैं Bank A Bank B को 2000 हजार करोड रूपए पर 8% Yearly Interest रेट से हर एक साल पर पेमेंट करेगी और Bank B Bank A को 2000 हजार करोड़ रुपए पर MIBOR + 2% Yearly Interest रेट से हर एक साल पर पेमेंट करेंगी MIBOR मतलब Mumbai Interbank Offered Rate यह एक इंटरेस्ट रेट होता हैं जिस में बैंक आपस में शॉर्ट टर्म के लिए पैसे का लेनदेन करती हैं।
Equity Swaps
Equity Swaps – इक्विटी स्वैप कॉन्ट्रैक्ट में एक पार्टी एक फिक्स नोशनल अमाउंट पर एक वेरिएबल रेट से पेमेंट करते हैं और दूसरी पार्टी उसी नोशनल अमाउंट पर किसी इक्विटी इंडेक्स पर बेस्ट रिटर्न का पेमेंट करती हैं ।
Exempla : एग्जांपल के लिए दो बैंक्स A और B आपस में 200 करोड नोशनल अमाउंट पर दो साल केलिए इक्विटी स्वैप कर सकते हैं बैंक A बैंक B को 200 करोड रूपए पर MIBOR + 7% Yearly Interest से हार साल पेमेंट करेंगी वही बैंक B बैंक A को 200 करोड रुपए पर Nifty 50 index Yearly return के अकॉर्डिंग हार साल पेमेंट करेंगी जैसे अगर Nifty 50 का रिटर्न साल में 12% का होता हैं तो बैंक B बैंक A को 200 करोड रूपए का 12% पे करेगी यहां भी पेमेंट वह बैंक करेगी जिसे ज्यादा पैसा देना हैं और वह अमाउंट दोनो के पेमेंट का डिफरेंस होगा
Commodity Swaps
Commodity Swaps – कमोडिटी स्वैप में कॉन्ट्रैक्ट एक कमोडिटी पर बेस्ट होता हैं जैसे ऑयल, नेचुरल गैस एक पार्टी कमोडिटी केलिए एक फिक्स प्राइस पे करती हैं और दुसरी पार्टी उसी कमोडिटी के करंट मार्केट प्राइस को पे करती हैं।
Currency Swaps
Currency Swaps – करेंसी स्वैप में कॉन्ट्रैक्ट थोड़ा अलग होता हैं इस में दो पार्टीज दो अलग-अलग करेंसी में बेस्ट कॉन्ट्रैक्ट करती हैं और यहां पर इंटरेस्ट पेमेंट के साथ-साथ नोशनल अमाउंट का भी एक्सचेंज हो सकता है।
Credit Default Swaps
Credit Default Swaps – यह स्वैप कॉन्ट्रैक्ट सबसे अलग होता हैं और इसका स्ट्रक्चर बिलकुल एक इंश्योरेंस कॉन्ट्रैक्ट जैसा होता है 2008 – 2009 के फाइनेंशियल प्राइजेस में Credit Default Swaps बहुत बड़ा रोल था तभी से इस तरह के स्वैप को काफी रिक्सी माना गया आई ए इसे एग्जांपल से समजते हैं
Exempla : मान लो बैंक A ने किसी कंपनी X को लोन दिया था अब बैंक A को लगता हैं की कंपनी X पूरे लोन का रीपेमेंट ना कर पाए और डिफॉल्ट कर दे ऐसे में बैंक A बैंक B के पास जाकर एक Credit Default Swaps कर सकती हैं
बैंक B X कंपनी के रिस्क प्रोफाइल को देखते हुए बैंक A को एक प्रीमियम बताइए गि जिसे बैंक A को रेगुलर इंटरवल पर बैंक B को देना होगा ऐसे में अगर X कंपनी Default करती हैं और पूरे लोन का रीपेमेंट नही कर पाती हैं तो लोन का जितना अमाउंट कंपनी X नही दे पाई उस का पेमेंट बैंक B बैंक A को करेंगी इस तरह बैंक A ने कंपनी X से हुए लॉस को Credit Default Swaps रिकवर कर दिया ठीक वैसा ही जैसा एक इंश्योरेंस में होता है।
Conclusion
आज हमने इस पोस्ट में Swap Derivatives In Hindi विस्तार से जानकारी दी हैं अपको यह पोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताना और आपका Swap Derivatives के उपर कोई सवाल हो तो कमेंट करके पूछ सकते हैं हम तुरंत रिप्लाई करने की कोशिश करेंगे धन्यवाद 🙏
Swap Derivatives In Hindi F.A.Q
Q. स्वैप डेरिवेटिव्स क्या है?
Ans : स्वैप एक कॉम्प्लेक्स कस्टमाइजेबल डेरिवेटिव्स होता हैं और इसका इस्तेमाल आमतौर से बड़े बैंक और कंपनी अपने रिस्क मैनेजमेंट में करती हैं।
Q. स्वैप डेरिवेटिव्स कितने प्रकार हैं?
Ans : 5 सबसे ज्यादा यूज होने वाले स्वैप डेरिवेटिव्स Interest Rate Swaps, Currency Swaps, Equity Swaps, Commodity Swaps और Credit Default Swaps हैं
स्वैप डेरिवेटिव्स कैसे काम करते हैं?
स्वैप डेरिवेटिव्स उपर दिए हुए 5 अलग-अलग प्रकार से काम करता हैं
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