Cash Flow Statement kya hai | कैश फ्लो कैसे बनाया जाता है ?

Cash Flow Statement kya hai


दोस्तो आज हम Cash Flow Statement kya hai  विस्तार से जानने वाले हैं कैश फ्लो स्टेटमेंट फाइनेंशल स्टेटमेंट का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है

कंपनीया अपने परफॉर्मेंस को बताने के लिए तीन तरह की फाइनेंशली स्टेटमेंट निकालती हैं बैलेंस शीट, इनकम स्टेटमेंट और कैश फ्लो स्टेटमेंट

जनरली काफी सारे लोग बैलेंस शीट और इनकम स्टेटमेंट को देखते हैं और कैश फ्लो स्टेटमेंट को नजर अंदाज कर देते हैं लेकिन कैश फ्लो स्टेटमेंट काफी सारी इंपॉर्टेंट चीजो को बतात हैं जो सभी इन्वेस्टर को जानी बहुत जरूरी है इस के अलावा कंपनी के काफी सारे प्रॉब्लम्स कैश फ्लो स्टेटमेंट देखकर और उसे एनालाइज करके पता कर सकते हैं

तो चलिए जानते हैं Cash Flow Statement क्या हैं और कैश फ्लो स्टेटमेंट कैसे बनाया जाता है? और इसे कैसे पढे फायदे और नुकसान क्या हैं विस्तार से जानते हैं 

Cash Flow Statement kya hai (कैश फ्लो स्टेटमेंट क्या है?)

कैश फ्लो स्टेटमेंट एक फाइनेंशियल स्टेटमेंट है जो हमें यह बताता है कि कंपनी के पास एक फिक्स टाइम में  टोटल कितना कैश आया कितना कैश कंपनी से बाहर गया और उस फिक्स टाइम में कंपनी के टोटल कैश में कितना चेंज आया  

जनरली हम कैश फ्लो स्टेटमेंट एनालिसिस एनुअल रिपोर्ट में करते हैं जहां पर टाइम पीरियड 1 साल का होता हैं 

अपके मन में सवाल आया होगा की जब कंपनी अपने इनकम स्टेटमेंट से नेट प्रॉफिट बता रही हैं तो फिर अलग से एक कैश फ्लो स्टेटमेंट की जरूरत क्यू है 

दर सल इनकम स्टेटमेंट एक्रुअल अकाउंटिंग के उपर बनाया जाता है एक्रुअल अकाउंटिंग में कंपनी अपना रेवेन्यू और expense को तभी अकाउंट कर लेती है जब कंपनी कोई ट्रांजैक्शन कर लेती हैं चाहे उसे ट्रांजैक्शन में असल में कोई पैसे कर लेनदेन हुआ हो या ना हुआ हो 

Exempla :  कंपनी जब क्रेडिट पर सेल करती है और कस्टमर को 60 दिन में पेमेंट करने का टाइम देते हैं तो ऐसे में कंपनी अपने क्रेडिट सेल और उससे जुड़े प्रॉफिट को उसी टाइम पर काउंट कर लेती हैं जिस टाइम पर कंपनी क्रेडिट सेल करते हैं चाहे कंपनी को रियल में अपने कस्टमर से कैश पेमेंट 60 दिन के बाद मिले और इस वजह से अक्सर कंपनियों के बताएं नेट प्रॉफिट और कंपनी के पास आए रियल कैश में फर्क होता है कैश को लाइफ बलट भी कहां जाता है  क्योंकि कंपनियों को कई सारे पेमेंट्स जैसे सैलरी पेमेंट इंटरेस्ट पेमेंट डे टु डे एक्सपेंस पेमेंट यह सब कैश में करना होता है

अगर कोई कंपनी अपने प्रॉफिट को रियल कैश में बदल नहीं पा रही है तो यह कंपनी के लिए बहुत डेंजरस हो सकता है कैश के इसी इंपॉर्टेंट को समझते हुए इन्वेस्टर्स कंपनी के कैश फ्लो स्टेटमेंट को काफी ध्यान से एनालिसिस करते हैं पर यह समझने की कंपनी के पास कैश कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है। 


कैश फ्लो स्टेटमेंट कैसे बनाया जाता है ?

किसी भी कंपनी के कैश फ्लो को तीन भागों में बांटा जाता है जैस 

  • Cash Flow From – Operating Activities
  • Cash Flow From – Investing Activities 
  • Cash Flow From – Financing Activities

तीनो में से Cash inflow को Cash Outflow को माइनस करके Net Cash Flow को निकाला जाता है और तीनो Activities से आए नेट कैश फ्लो को एड करके कंपनी केलिए total Change in cash को निकाला जाता है 

कैश फ्लो स्टेटमेंट को कैसे पढे? (How to learn cash Flow Statement)

कैश फ्लो स्टेटमेंट को पढ़ने केलिए अपको नीचे दिए हुए Activities अच्छी तरह समझना होगा 

Exempla : मान लेती हैं AB limited एक कंपनी हैं जिस का कैश फ्लो स्टेटमेंट तीन भागों में बटा है पहला है 

Cash Flow From Operating Activities

ऑपरेटिंग एक्टिविटीज उन  एक्टिविटीज को कहा जाता है जो कंपनी के में बिजनेस से जुड़ी होती है और इस में कंपनी के सेल्स, परचेसेज और जेनरल Expenses के Cash Flow होते है

और फिर Total Cash inflow में से Total Cash Outflow माइनस करके Net cash Flow From Operating Activities कैलकुलेट किया जाता है 

Total Cash inflow – Total Cash Outflow = Net Cash Flow From Operating Activities

कैश फ्लो फ्रॉम ऑपरेटिंग एक्टिवाइटस कैश फ्लो स्टेटमेंट का सबसे महत्व पूर्ण पार्ट हैं Cash Flow From Operating Activities अगर किसी कंपनी का कैश फ्लो फ्रॉम ऑपरेटिंग एक्टिवाइटस नेगेटिव है तो यह काफी प्रॉब्लम वाली बात है इसका मतलब यह है कि कंपनी अपने सेल्स से अपने एक्सपेंस को कवर कर नही पा रही हैं 

तो आए से में कंपनी को अपने क्सपेंस पेमेंट के लिए अपनी इन्वेस्टिंग और फाइनेंशियल एक्टिविटीज से कैश लेना होगा 

अगर किसी कंपनी का कैश फ्लो फ्रॉम ऑपरेटिंग एक्टिवाइटस पॉजिटिव हैं और लगातार बढ रहा हैं तो यह कंपनी केलिए अच्छा माना जाता हैं 


Cash Flow From  Investing Activities 

इन्वेस्टिंग एक्टिविटीज में लॉन्ग टर्म एसेट्स जैसे प्रॉपर्टी, प्लांट, equipment बाइंग सेलिंग और कई तरह के investment से बाइंग सेलिंग जुडे कैश फ्लो होते हैं इन्वेस्टमेंट में म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट दूसरे कंपनियों के शेयर, इंटरेस्ट इनकम आदि आते हैं 

और फि से Total Cash inflow में से Total Cash Outflow माइनस करके Net Cash Flow From  Investing Activities कैलकुलेट किया जाता है।

Total Cash inflow – Total Cash Outflow = Net Cash Flow From  Investing Activities

Cash Flow From  Financing Activities

फाइनेंसिंग एक्टिविटीज में वैसे कैश फ्लो हो ज्याते हैं जिनकी वजह से कंपनी के डेट और इक्विटी कैपिटल में चेंजेस आते हैं। जैसे डेट लेना या डेट का रीपेमेंट करना डिविडेंड का पेमेंट करना नए शेयर इश्यू करना या शेयर का बायपैक करना आदि

यह पर Total Cash inflow में से Total Cash Outflow माइनस करके Net Cash Flow From  Financing Activities कैलकुलेट किया जाता है। 

Total Cash inflow – Total Cash Outflow = Net Cash Flow From  Financing Activities

इस के बाद तीनो पार्ट से आए Net Cash Flow को एड किया जाता हैं जिसे कंपनी के कैश बैलेंस में पूरे साल में हुवा Net Increase या Net Decrease मिलता हैं 

इस के बाद Net Increase या Net Decrease को कंपनी के साल के शुरूवात के कैश बैलेंस में एड करते हैं जिसे कंपनी का साल का एंडिंग कैश बैलेंस मिलता हैं।






How Cash Flow is Calculated?

कैश फ्लो को दो तरह से कैलकुलेटर किया जाता हैं Direct और indirect 

पहले बात करते हैं Direct मेथड

Direct मेथड में हर तरह के कैश पेमेंट और रिसीप्ट को कंसीडर किया जाता हैं इस में कैश पैड टू सप्लायर , रिसीप्ट फ्रॉम कस्टमर्स और जो कैश सैलरी में पे किए गए है उन सबको कंसीडर किया जाता हैं। जहां जहां से भी कैश आया है उसे एड करके जहां जहां कैश गया है उसे माइनस कर दिया जाता हैं यह Direct मेथड स्मॉल कंपनियों के लिए स्मॉल बिजनेसेस के लिए आसान होता है जो कैश बेसेस पर अकाउंटिंग करते हैं हाला की यह काफी टाइम कंजूमिंग होता है 

Indirect मेथड

इसलिए काफी सारी कंपनी इनडायरेक्ट मेथड का इस्तेमाल करते हैं इनडायरेक्ट मेथड काफी स्टेट फॉरवार्ड होता है इनमें हार कैश फ्लो के रिपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ती इनडायरेक्ट मेथड में कंपनी के given period of time के net income को कंसीडर किया जाता हैं इसके बाद बैलेंस शीट के फिगर के बेसेसे पर इस net income को एडजेस्ट किया जाता है 

एडजेस्ट करने का मतलब यह है की जितने भी नों कैश ट्रांजैक्शन है उनको आईडेंटिफाई करके इस टोटल नेट में से माइनस करना तभी टोटल कैश फ्लो का बता चलेगा

Exempla : मान लीजिए आपका एक फ्लैट है जो आपने रेंट पर दिया हुआ है हार महिने इस का रेंट आता हैं 30000 हज़ार रुपए तो आपकी एनुअल इनकम 30000×12 = 360000 

मान लो पिछले महीने रेंट रिसीव नहीं हुआ तो कंपनी के केस में इनकम स्टेटमेंट बनाई जाती हैं तो इस अमाउंट को भी इनकम में ऐड किया जाता है जो की अभी रिसीव नहीं हुई परंतु अभी तक हमें काश नहीं मिला तो हमे अगर कैश वाली इनकम निकालनी हैं तो हमे 30000 हजार को स्लैश करना पड़ेगा 

कैश फ्लो स्टेटमेंट के 3 प्रकार 

POSITIVE CASH FLOW – पॉजिटिव कैश फ्लो मतलब किसी कंपनी में आने वाले कैश से बाहर जाने वाले कैश से अधिक हैं तो इसे पॉजिटिव कैश फ्लो कहा जाता हैं। 

NEGATIVE CASH FLOW – नेगेटिव कैश फ्लो मतलब किसी कंपनी के आने वाला कैश बाहर जाने वाले कैश से कम होता है तो इसे नेगेटिव कैश फ्लो कहा जाता हैं। 

BREAK EVEN CASH FLOW – ब्रेक इवन कैश फ्लो मतलब किसी कंपनी के बिजनेस से आने वाला कैश और कंपनी के बिजनेस से जाने वाला कैश के इसे ब्रेक इवन कैश फ्लो कहते हैं।


कैश फ्लो स्टेटमेंट के क्या फायदे हैं?

दोस्तो कैश फ्लो स्टेटमेंट का सबसे बड़ा फायदा हमें कंपनी कैसा परफॉर्मेंस कर रही है और कंपनी अपने एक्सपेंस को कवर कर पा रही है या नही यह पता चलता हैं और कंपनी कितना कैश में लेन देन कर रही है पता चलता है। 


Conclusion

दोस्तो कंपनी का एनालिसिस करना स्किल के साथ-साथ एक आर्ट भी है हमें किसी भी कंपनी में इन्वेस्ट करने से पहले तीनो फाइनेंशियल स्टेटमेंट बैलेंस शीट,  इनकम स्टेटमेंट और कैश फ्लो स्टेटमेंट तो एनालिसिस करना चाहिए साथ ही कंपनी किस इंडस्ट्री में है कंपनी क्या-क्या प्रोडक्ट या सर्विसेज सेल करती है और कंपनी के प्रोडक्ट के सर्विसेज की डिमांड भविष्य में कितनी बढ़ सकती है 

दोस्तों स्टॉक मार्केट में हमें अच्छा प्रॉफिट तभी होता हैं जब हमने जिस कंपनी में निवेश किया है वह कंपनी प्रॉफिट बनाएं इसलिए हमें अपने मेहनत से कमाए पैसे को सोच समझ कर और अच्छे से एनालाइज करके निवेश करना चाहिए 

अपको यह पोस्ट कैसे लगी कमेंट करके जरूर बताना अपने दोस्तो के साथ जरुर शेयर करना 

FAQ

Q. कैश फ्लो स्टेटमेंट क्या हैं?

Ans : कैश फ्लो स्टेटमेंट किसी भी कंपनी का फाइनेंशियल स्टेटमेंट है।

Q. कैश फ्लो स्टेटमेंट को क्या कहा जाता हैं?

Ans : कैश फ्लो स्टेटमेंट को Statement of cash Flow भी कहा जाता है।

Q. कैश फ्लो स्टेटमेंट क्या बता ता है?

Ans : कैश फ्लो स्टेटमेंट यह बता ता है की किसी भी कंपनी के पास एक फिक्स टाइम में  टोटल कितना कैश आया और कितना कैश कंपनी से बाहर गया।

Q. कैश फ्लो स्टेटमेंट का अर्थ क्या है?

Ans : कैश फ्लो स्टेटमेंट अर्थ है हिंदी में – नकद प्रवाह (हमारे पास धन का आना और हमारे पास से धन जाना)

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